Brother's thought
उफ्फ ये बहनें !
जाने किस जन्म का बकाया हिसाब-किताब लेकर आती है बहनें कि इनका पूरा बचपन भाईयों से लड़ते-झगड़ते बीत जाता है। साथ रहें, साथ खाएं या साथ खेलें - एकदम दुश्मनों वाला सलूक ! राखी बांधते वक़्त भी नेग के लिए झगड़ा। फिर लड़ते-झगड़ते जाने कब सयानी हो जाती हैं और अचानक भाईयों की फ़िक्र करने लगती हैं। बड़े प्यार से राखी बांधती हैं और बदले में कुछ मांगती भी नहीं। कुछ दो तो होंठों पर हल्की सी मुस्कान और नहीं दो तो आंखों में ढेर सारा वात्सल्य। शादी के बाद राखी के दिन या वैसे भी भाईयों का इंतज़ार करती हैं। यह जानते हुए भी कि भाईयों को भाभियों और भतीजों से फुर्सत मिलने की संभावना कम ही होती है। इनका बुढ़ापा पति और बच्चों के साथ भाईयों के कुशल-क्षेम और उनकी लंबी उम्र की दुआएं करते बीत जाता है। यह जानते हुए भी कि इस उम्र में भाईयों की स्मृति में बहनें कम ही रह पाती हैं। जाने किस मिट्टी से तो बनाता है ईश्वर इन बहनों को !
उफ्फ ये बहनें !
जाने किस जन्म का बकाया हिसाब-किताब लेकर आती है बहनें कि इनका पूरा बचपन भाईयों से लड़ते-झगड़ते बीत जाता है। साथ रहें, साथ खाएं या साथ खेलें - एकदम दुश्मनों वाला सलूक ! राखी बांधते वक़्त भी नेग के लिए झगड़ा। फिर लड़ते-झगड़ते जाने कब सयानी हो जाती हैं और अचानक भाईयों की फ़िक्र करने लगती हैं। बड़े प्यार से राखी बांधती हैं और बदले में कुछ मांगती भी नहीं। कुछ दो तो होंठों पर हल्की सी मुस्कान और नहीं दो तो आंखों में ढेर सारा वात्सल्य। शादी के बाद राखी के दिन या वैसे भी भाईयों का इंतज़ार करती हैं। यह जानते हुए भी कि भाईयों को भाभियों और भतीजों से फुर्सत मिलने की संभावना कम ही होती है। इनका बुढ़ापा पति और बच्चों के साथ भाईयों के कुशल-क्षेम और उनकी लंबी उम्र की दुआएं करते बीत जाता है। यह जानते हुए भी कि इस उम्र में भाईयों की स्मृति में बहनें कम ही रह पाती हैं। जाने किस मिट्टी से तो बनाता है ईश्वर इन बहनों को !
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